Side Plank Pose | वशिष्ठासन की विधि, लाभ एवं अंतर्विरोध
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वशिष्ठासन क्या है?
Side Plank Pose ऋषि वशिष्ठ को भारतवर्ष के सबसे सम्मानीय संतो में से माना जाता है। ऋषि वशिष्ठ सप्तऋषि मंडल के एक ऋषि हैं। वे ऋग्वेद मंडल के सबसे प्रधान व मुख्य लेखक भी हैं।
ऋषि वशिष्ठ के पास एक गाय थी जिसका नाम कामधेनु था। उस गाय का एक बछड़ा था जिसका नाम नन्दिनी था। उस गाय के पास दैविक शक्तियाँ थी और उसने ऋषि वशिष्ठ को बहुत धनवान बना दिया था। इसलिए वशिष्ठ का वास्तविक अर्थ धनवान है।
यह आसन शरीर के ऊपरी हिस्से (छाती, पेट और कंधे) को मज़बूत बनाता है और उसमे स्थिरता लाता है।
वशिष्ठासन करने की प्रक्रिया। How to do Side Plank Pose (Vasisthasana)
- दंडासन में आ जाएँ।
- धीरे से अपने शरीर का सारा वज़न अपने दाएँ हाथ और पैर पर रखें। ऐसा प्रतीत होना चाहिए कि आपका बहिना हाथ और पैर हवा में झूल रहे है।
- अपने बाहिने पैर को दाहिने पैर पर रखें और बाहिने हाथ को अपने कूल्ह पर रखें।
- आपका दाहिना हाथ आपके कंधे के साथ होना चाहिए। ध्यान दे की वह आपके कंधे के नीचे न हो।
- ध्यान दें कि आपके हाथ ज़मीन को दबाएँ और आपके हाथ एक सीध में हो।
- साँस अंदर लेते हुए अपना दाहिना हाथ ऊपर उठाएँ। ऐसा प्रतीत होना चाहिए की आपका हाथ ज़मीन पर सीधा खड़ा हुआ है।
- अपनी गर्दन को अपने उठे हुए हाथ की तरफ मोड़ें और साँस अंदर और बहार करते हुए अपनी हाथों की उँगलियों को देखें।
- साँस छोड़ते हुए अपने हाथ को नीचे ले आएँ।
- धीरे से दंडासन में आ जाएँ और अंदर-बहार जाती हुई साँस के साथ विश्राम करें।
- यही प्रक्रिया दुसरे हाथ के साथ दोहराएँ।
वशिष्ठासन के लाभ । Benefits of the Side Plank Pose (Vasisthasana)
- हाथों, कलाई व पैरों की मासपेशियों को मज़बूत बनाता है।
- पेट की मासपेशियों को मज़बूत बनाता है।
- शरीर में स्थिरता बनाता है।
वशिष्ठासन के अंतर्विरोध । Contraindications of the Side Plank Pose (Vasisthasana)
जिन लोगो को कलाई में कभी भी चोट लगी हो, वो यह आसन न करें। यदि किसी को कंधे अथवा कोहनी में चोट लगी हो, वो भी यह आसन न करें।
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